भारत में खेती केवल एक पेशा नहीं बल्कि जीवनशैली है। आज, कृषि पर्यटन (Agritourism) किसानों के लिए आर्थिक सुधार और ग्रामीण विकास का एक नया जरिया बन रहा है। भारत की 65% आबादी खेती से जुड़ी हुई है, और कुल राष्ट्रीय आय का 13% हिस्सा कृषि से आता है। ऐसे में, कृषि पर्यटन खेती के साथ अतिरिक्त कमाई का नया अवसर प्रदान कर सकता है।
कृषि पर्यटन क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?
कृषि पर्यटन एक ऐसा पर्यटन मॉडल है, जहां पर्यटक गांवों में आकर खेतों का दौरा करते हैं, खेती की प्रक्रिया को समझते हैं और ग्रामीण जीवन का अनुभव लेते हैं।
- यह महाराष्ट्र में सबसे पहले शुरू हुआ और अब पूरे भारत में फैल रहा है।
- इससे गांवों की अर्थव्यवस्था मजबूत होती है और किसानों को अतिरिक्त आय का जरिया मिलता है।
- पर्यटक गांव की प्राकृतिक सुंदरता, जैविक खेती, पशुपालन, और पारंपरिक कृषि तकनीकों को देखने और अनुभव करने के लिए आकर्षित होते हैं।
पर्यटन का वैश्विक प्रभाव
विश्व पर्यटन संगठन के अनुसार, पर्यटन हर साल 4% की दर से बढ़ रहा है, लेकिन भारत में यह दर 10.1% है, जो वैश्विक औसत से ढाई गुना अधिक है।
भारत में कृषि पर्यटन की शुरुआत और प्रमुख केंद्र
भारत में महाराष्ट्र पहला राज्य था, जिसने 2005 में कृषि पर्यटन की शुरुआत की। इसके बाद, कई अन्य राज्यों ने भी इसे अपनाया और अपने खेतों को पर्यटन केंद्रों के रूप में विकसित किया।
प्रमुख कृषि पर्यटन केंद्र:
- केरल – देवलोकम फार्मस्टे
- मसाले, फल और सब्जियों के बागान।
- नदी में नौका विहार और आयुर्वेदिक अनुभव।
- गोवा – दूधसागर फार्मस्टे
- जैविक खेती और हर्बल गार्डन।
- शांतिपूर्ण वातावरण और प्राकृतिक सौंदर्य।
- ऊटी – डेस्टिनी फार्मस्टे
- कॉफी, मसाले और फलों की खेती।
- बच्चों के लिए खास गतिविधियाँ।
- कर्नाटक – ग्रीन ड्रीम्स फार्मस्टे
- कूर्ग में कॉफी बागान और इको-फ्रेंडली स्टे।
- पंजाब – प्रकृति फार्म और सिट्रस काउंटी
- सरसों के खेत और पंजाबी संस्कृति का अनुभव।
- ट्रैक्टर राइड और स्थानीय खानपान।
- उत्तराखंड – द गोट विलेज
- जैविक खेती और ग्रामीण जीवनशैली।
- राजस्थान – कंट्री रिट्रीट फार्मस्टे
- 130 एकड़ का जैविक खेत, पशुपालन और लोक संगीत।
इन फार्मस्टे मॉडल्स से भारत के अन्य किसान भी प्रेरणा ले सकते हैं और अपनी खेती को पर्यटन से जोड़ सकते हैं।
भारत में कृषि पर्यटन के अवसर और चुनौतियाँ
क्या खास है कृषि पर्यटन में?
- किसानों को अतिरिक्त आय मिलती है।
- गांवों में रोजगार के अवसर बढ़ते हैं।
- पर्यटक प्रकृति और जैविक जीवनशैली से जुड़ते हैं।
- ग्रामीण इलाकों में बुनियादी सुविधाओं का विकास होता है।
किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?
- गांवों में बुनियादी सुविधाओं (सड़क, बिजली, इंटरनेट) की कमी।
- मौसम और फसल चक्र के कारण पर्यटन सीजनल हो सकता है।
- पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए सही रणनीति और मार्केटिंग की जरूरत।
- गांवों में सुरक्षा और रहने की अच्छी व्यवस्था आवश्यक।
सरकार की योजनाएँ और किसानों के लिए अवसर
भारत सरकार कृषि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएँ चला रही है:
- स्वदेश दर्शन योजना – ग्रामीण और सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा।
- देखो अपना देश योजना – घरेलू पर्यटन को बढ़ावा देने का प्रयास।
- ग्रामीण पर्यटन योजना – आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत कृषि पर्यटन का विकास।
सरकार के साथ निजी निवेश और स्थानीय संगठनों की मदद से इसे और प्रभावी बनाया जा सकता है।
कैसे बढ़ाया जाए कृषि पर्यटन?
- इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारें – गांवों में बेहतर सड़कें, बिजली और इंटरनेट की सुविधा बढ़ाई जाए।
- पर्यटकों के लिए बेहतर सुविधाएँ – ठहरने, खाने और गाइड की व्यवस्था की जाए।
- किसानों की ट्रेनिंग – उन्हें आतिथ्य सत्कार और पर्यटन प्रबंधन की ट्रेनिंग दी जाए।
- प्राइवेट कंपनियों और NGOs का सहयोग – पर्यटन कंपनियाँ किसानों को मार्केटिंग और बिजनेस डेवलपमेंट में मदद कर सकती हैं।
- पर्यटन मार्गों का निर्माण – राज्यों में कृषि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विशेष ट्रैवल रूट तैयार किए जाएँ।
कृषि पर्यटन भारत में किसानों के लिए एक नया और सफल मॉडल बन सकता है।
- इससे किसानों की आय बढ़ेगी और ग्रामीण इलाकों में नौकरियाँ पैदा होंगी।
- पर्यटकों को प्राकृतिक और सांस्कृतिक अनुभव मिलेगा।
- यदि सरकार, किसान और निजी क्षेत्र मिलकर कार्य करें, तो यह मॉडल भारत में कृषि और पर्यटन दोनों को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है।