कृषि क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence – AI) का उपयोग खेती के पारंपरिक तरीकों को आधुनिक तकनीक से जोड़कर उत्पादन और गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद कर रहा है। AI के माध्यम से मिट्टी की नमी, मौसम की जानकारी और फसल स्वास्थ्य का विश्लेषण किया जा सकता है, जिससे सिंचाई, उर्वरक और कीटनाशकों के उपयोग को अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है। इससे न केवल किसानों की लागत में कमी आती है बल्कि फसल की उपज में भी वृद्धि होती है।
AI आधारित सेंसिंग तकनीक, जैविक उपकरण और GPS (Global Positioning System) के माध्यम से मिट्टी की उर्वरता, फसल की स्थिति और मौसम के पैटर्न का विश्लेषण किया जाता है। इससे किसान सटीक और डेटा-आधारित निर्णय ले सकते हैं, जिससे उत्पादन क्षमता में सुधार होता है।
सैटेलाइट इमेजिंग और इमेज प्रोसेसिंग तकनीक के माध्यम से AI फसलों की बीमारियों और कीट संक्रमण के शुरुआती संकेतों को पहचान सकता है। इससे किसानों को समय पर उपचार करने में मदद मिलती है और फसल के नुकसान को कम किया जा सकता है।
ड्रोन और सेंसर्स के माध्यम से AI का उपयोग करके किसान अपनी फसल की स्थिति और पोषक तत्वों की कमी का आसानी से पता लगा सकते हैं। इससे किसानों को फसल प्रबंधन में सुधार करने का मौका मिलता है, जिससे अधिक उपज प्राप्त होती है।
AI आधारित डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करके किसानों को फसल उत्पादन, बाजार मूल्य और मौसम की भविष्यवाणी करने में मदद मिलती है। यह किसानों को बेहतर निर्णय लेने और संसाधनों का सही प्रबंधन करने में सक्षम बनाता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में कई किसानों के पास डिजिटल उपकरणों और तकनीकों का सीमित ज्ञान होता है, जिससे AI-आधारित समाधानों को अपनाना कठिन हो जाता है।
AI तकनीक के लिए ड्रोन, IoT सेंसर्स और ऑटोमेटेड सिंचाई प्रणालियों जैसे उपकरणों की आवश्यकता होती है, जिनकी लागत अधिक होती है। यह छोटे और सीमांत किसानों के लिए इसे अपनाना मुश्किल बना देता है।
ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी और तकनीकी सुविधाओं की कमी के कारण AI-आधारित समाधान किसानों तक सही तरीके से नहीं पहुंच पाते हैं।
AI के प्रभावी उपयोग के लिए सटीक और विस्तृत डेटा की आवश्यकता होती है। यदि डेटा अधूरा या गलत होता है, तो AI का पूर्वानुमान और विश्लेषण सटीक नहीं होगा, जिससे कृषि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
सरकार ने किसानों को AI से जोड़ने के लिए AI-संचालित चैटबॉट ‘किसान ई-मित्र’ विकसित किया है, जो PM किसान सम्मान निधि योजना और अन्य सरकारी योजनाओं की जानकारी प्रदान करता है।
यह प्रणाली मशीन लर्निंग (Machine Learning) और AI का उपयोग करके कीट संक्रमण का पता लगाती है, जिससे समय पर कार्रवाई कर फसलों को सुरक्षित रखा जा सकता है। हम देख रहे हैं कि पिछले 3 से 4 साल के अंदर AI ने लोहा मनवाया है और अब कृषि क्षेत्र में भी एक क्रांतिकारी बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। इससे किसानों को बेहतर निर्णय लेने, लागत घटाने और उपज बढ़ाने में सहायता मिल रही है।
हालांकि, इसके व्यापक उपयोग के लिए डिजिटल शिक्षा, बुनियादी ढांचे का विकास और किफायती तकनीकी समाधान की आवश्यकता है। यदि सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर AI को बड़े स्तर पर लागू करते हैं, तो यह भारत की कृषि अर्थव्यवस्था को एक नई ऊंचाई पर ले जा सकता है।