बिहार में 1 अप्रैल से गेहूं की खरीदारी शुरू होने वाली है। सरकार ने इस वर्ष गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2,425 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, जो पिछले साल की तुलना में 150 रुपये अधिक है।
बिहार में 1 अप्रैल से गेहूं की खरीदारी शुरू होने वाली है। सरकार ने इस वर्ष गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2,425 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, जो पिछले साल की तुलना में 150 रुपये अधिक है।
हर किसान की यही चाहत होती है कि उसकी फसल अच्छी उपज दे और उसकी मेहनत का पूरा फल मिले। लेकिन अगर कटाई से पहले कुछ जरूरी उपाय किए जाएं, तो फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में और भी अधिक बढ़ोतरी हो सकती है।
आज के समय में पशुपालन एक महत्वपूर्ण व्यवसाय बन चुका है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। यदि आप गांव में परचून की दुकान खोलने की सोच रहे हैं, तो इससे कहीं ज्यादा फायदेमंद एक भैंस पालना हो सकता है। भैंस को ब्लैक गोल्ड कहा जाता है क्योंकि यह किसानों के लिए निरंतर आमदनी का स्रोत बन सकती है।
गर्मियों के मौसम में पशुओं के लिए हरे चारे (Green Fodder) की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती होती है। नमी की कमी के कारण हरे चारे की फसलें सूखने लगती हैं, जिससे पशुपालकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां बड़ी संख्या में लोग अपनी आजीविका के लिए खेती पर निर्भर करते हैं। फसलों की खेती में किसानों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे जलवायु परिवर्तन, आर्थिक तंगी, प्राकृतिक आपदाएं और उचित बाजार मूल्य की कमी।
पराली जलाना किसानों के लिए एक आम समस्या रही है, जिससे वायु प्रदूषण (Air Pollution) और मिट्टी की उर्वरता (Soil Fertility) पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
भारत में खेती केवल एक पेशा नहीं बल्कि जीवनशैली है। आज, कृषि पर्यटन (Agritourism) किसानों के लिए आर्थिक सुधार और ग्रामीण विकास का एक नया जरिया बन रहा है।
कृषि क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence - AI) का उपयोग खेती के पारंपरिक तरीकों को आधुनिक तकनीक से जोड़कर उत्पादन और गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद कर रहा है।
मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों के हित में एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने धान उपार्जन पर प्रति हेक्टेयर 4,000 रुपये की सहायता और गेहूं पर 175 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस देने की घोषणा की है।
जब भी बाज़ार या बाग़ से लाये फलों से कीड़े निकलते हैं तो यह एक तरह का भ्रम होता है कि सही दिखने वाले फल में कीड़े किस तरह से पैदा हो गए तो इसका कारण फल वाली मक्खी होती है। फल वाली मक्खी और फल चूसने वाले कीट नींबू जाति के फल के केरे के मुख्य कारण में से एक है। फल वाली मक्खी पंजाब में नींबू जाति के
गन्ना उत्पादकों को एक बार फिर समय पर चोटी बेधक की रोकथाम कर लेनी चाहिए और यदि समाधान न किया गया तो किसान को भारी नुक्सान हो सकता है। खेती विज्ञानियों का कहना है कि यह एक बहुत गंभीर कीड़ा है।
कृषि-खाद्य प्रणाली को स्वस्थ और भरोसेमंद व्यवस्था में बदलने तथा सतत विकास लक्ष्यों को 2030 तक प्राप्त करने के लिए भारत को अब बहुत ही ज्यादा सजकता, सततता और सहनशीलता से अपने प्रयासों को तेज करना होगा।
सरसों का बीज अगले सीजन के लिए किसान खेत में ही बड़े पैमाने पर इसकी खेती करे तो यह ओर किसनों के लिए बीज भी तैयार करके इसे बेच और प्रयोग कर सकते हैं बीज उत्पादन के लिए खेती के तरीके
किन्नू पंजाब का एक महत्वपूर्ण फल है और पंजाब की खेती आर्थिकता में इसका बहुत बड़ा योगदान है। पर किन्नू की पैदावार और गुणवत्ता तुड़ाई के बाद कांट-छांट पर निर्भर करती है।
कीट, बीमारियां और नदीनों की रोकथाम के लिए छिड़काव का सही तरीका प्रयोग करना बहुत जरुरी है। सिफारिश की गई खेती रसायन के बढ़िया परिणाम लेने के लिए निम्मनलिखित नुस्खे अपनाये।