भारत में कई देसी गायों की नस्लें पाई जाती हैं, लेकिन पुंगनूर गाय अपनी छोटी कद-काठी और औषधीय गुणों से भरपूर दूध के लिए जानी जाती है। यह नस्ल अब विलुप्ति के कगार पर है, इसलिए इसे संरक्षित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
भारत में कई देसी गायों की नस्लें पाई जाती हैं, लेकिन पुंगनूर गाय अपनी छोटी कद-काठी और औषधीय गुणों से भरपूर दूध के लिए जानी जाती है। यह नस्ल अब विलुप्ति के कगार पर है, इसलिए इसे संरक्षित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
मार्च का महीना खेती-किसानी के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस समय किसान गर्मियों में उगाई जाने वाली सब्जियों की खेती शुरू कर सकते हैं, जिससे उन्हें कम लागत में अच्छी पैदावार और बाजार में अच्छा लाभ मिल सकता है।
भारत में धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, और किसानों की प्राथमिकता अब उन्नत किस्मों की ओर बढ़ रही है। अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों से अधिक उपज और बेहतर लाभ प्राप्त किया जा सकता है। यही कारण है कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), पूसा द्वारा विकसित धान की किस्मों की मांग लगातार बढ़ रही है।
फलों और सब्जियों का हमारे आहार में विशेष स्थान है, लेकिन इनका उत्पादन अक्सर हानिकारक कीटनाशकों (पेस्टीसाइड्स) के उपयोग से किया जाता है। ये रसायन हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं और लंबे समय तक इनके सेवन से कैंसर, हार्मोन असंतुलन, तंत्रिका तंत्र से जुड़ी समस्याएँ और प्रजनन क्षमता में कमी जैसी गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं।
भारत में कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार लगातार नई योजनाएं ला रही है। इसी दिशा में बिहार सरकार ने मल्चिंग (Mulching) तकनीक को अपनाने वाले किसानों को 50% अनुदान देने की योजना शुरू की है।
जलवायु परिवर्तन का असर अब केवल पर्यावरण तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह कृषि क्षेत्र पर भी गहरा प्रभाव डाल रहा है। खासकर, गेहूं और चावल जैसी मुख्य फसलें इस बदलाव से बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं।
किसानों और पशुपालकों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। इसी दिशा में, सरकार ने 'पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना' की शुरुआत की है।
झींगा पालन (Shrimp Farming) भारत में तेजी से बढ़ता व्यवसाय है, लेकिन कई बीमारियां इसकी उत्पादकता को प्रभावित कर सकती हैं। इनमें से एक गंभीर बीमारी वाईब्रियोसिस (Vibriosis) है, जो झींगा की विभिन्न प्रजातियों को संक्रमित कर सकती है।
आजकल शहरीकरण के बढ़ते प्रभाव के कारण लोग छत पर ही गार्डनिंग कर रहे हैं। पहले यह चलन हरी सब्जियों तक सीमित था, लेकिन अब लोग अपनी छतों पर फल भी उगाने लगे हैं।
कमल के बीज को सामान्य भाषा में "कमल गट्टा" कहा जाता है। इसे आप आसानी से स्थानीय किराना स्टोर,ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स से खरीद सकते हैं।
लकड़ी वाले पेड़ों की खेती (Tree Farming) को किसान एक लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट (Long-Term Investment) मानते हैं। सही देखभाल करने पर यह खेती उच्च लाभदायक (High-Profit) साबित होती है।
खारे पानी से सिंचाई करने के प्रभाव, उसे उपयोगी बनाने के उपाय, तथा फसल उत्पादन में सुधार के तरीकों पर विस्तृत जानकारी।
गन्ना उत्पादकों को एक बार फिर समय पर चोटी बेधक की रोकथाम कर लेनी चाहिए और यदि समाधान न किया गया तो किसान को भारी नुक्सान हो सकता है। खेती विज्ञानियों का कहना है कि यह एक बहुत गंभीर कीड़ा है।
कृषि-खाद्य प्रणाली को स्वस्थ और भरोसेमंद व्यवस्था में बदलने तथा सतत विकास लक्ष्यों को 2030 तक प्राप्त करने के लिए भारत को अब बहुत ही ज्यादा सजकता, सततता और सहनशीलता से अपने प्रयासों को तेज करना होगा।
अपने खेतों का लगातार निरीक्षण करना बहुत समय लेने वाला और कठिन कार्य है। कल्पना कीजिए कि अगर आप खेतों में जाकर देखने की बजाए एक जगह पर बैठकर अपने खेतों का निरीक्षण करने में सक्षम हों तो।