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Chrysanthemum Farming: कम लागत में अधिक मुनाफे का शानदार विकल्प है गुलदाउदी

सर्दियों के मौसम में फूलों की खेती किसानों के लिए एक बेहतरीन कमाई का साधन बन सकती है। खासकर गुलदाउदी (Chrysanthemum) की खेती, जिसे दुनिया भर में व्यावसायिक रूप से सबसे अधिक उगाए जाने वाले फूलों में गिना जाता है।

By: Dipti Tiwari 
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Chrysanthemum Farming: कम लागत में अधिक मुनाफे का शानदार विकल्प है गुलदाउदी

सर्दियों के मौसम में फूलों की खेती किसानों के लिए एक बेहतरीन कमाई का साधन बन सकती है। खासकर गुलदाउदी (Chrysanthemum) की खेती, जिसे दुनिया भर में व्यावसायिक रूप से सबसे अधिक उगाए जाने वाले फूलों में गिना जाता है।

इस फूल का उपयोग पूजा-पाठ, माला, गजरा और सजावटी कार्यों में बड़े पैमाने पर किया जाता है। बाजार में इसकी बढ़ती मांग के कारण गुलदाउदी की खेती एक लाभदायक व्यवसाय साबित हो सकती है। यदि किसान आधुनिक तकनीकों और सही विधियों का उपयोग करें, तो वे इस खेती से मोटी कमाई कर सकते हैं।

गुलदाउदी की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी और जलवायु

गुलदाउदी की खेती के लिए 8 से 16 डिग्री सेल्सियस तापमान सबसे उपयुक्त माना जाता है। इसे किसी भी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, लेकिन अच्छे जल निकासी वाली दोमट मिट्टी (Loamy Soil) सबसे बेहतर होती है। अधिक फूल उत्पादन के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.5 होना आवश्यक होता है। पौधों के अच्छे विकास के लिए खुली और धूप वाली जगह सबसे उपयुक्त होती है।

गुलदाउदी की उन्नत किस्में

गुलदाउदी की किस्में दो प्रकार की होती हैं – एकवर्षीय (Annual) और बहुवर्षीय (Perennial)। एकवर्षीय किस्मों में सफेद, पीली और बहुरंगी किस्में शामिल होती हैं, जिन्हें बीजों के माध्यम से उगाया जाता है। वहीं, बहुवर्षीय किस्मों को कलम (Cutting) और अंत:भूस्तरियों (Layering) द्वारा उगाया जाता है।

बहुवर्षीय किस्मों में वसंतिका, मीरा, शारदा, कुंदन, बीरबल साहनी, नानाको, बागी, सलेक्शन-5, सलेक्शन-4, रेडगोल्ड, फ्लिर्ट, श्यामल, मेधामी और गुल शाहिर प्रमुख नाम हैं। बहुवर्षीय किस्मों को उगाने से ज्यादा फूलों का उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

रोपाई और खेत की देखभाल

गुलदाउदी के पौधों की रोपाई के दौरान पौधे से पौधे और कतार से कतार की दूरी महत्वपूर्ण होती है। छोटे फूलों वाली किस्मों के लिए 25-30 सेमी और बड़े फूलों वाली किस्मों के लिए 50 सेमी की दूरी रखनी चाहिए।

खरपतवारों से बचाने के लिए नियमित रूप से निराई-गुड़ाई (Weeding & Hoeing) करना आवश्यक होता है। पहली निराई रोपाई के एक महीने बाद की जाती है। यदि आवश्यक हो, तो खेत में खरपतवार नियंत्रण के लिए शाकनाशी (Herbicide) का भी उपयोग किया जा सकता है।

रोग और कीट नियंत्रण

गुलदाउदी की अच्छी उपज के लिए इसे रोगों और कीटों से बचाना बेहद जरूरी है। इसमें जड़ सड़न (Root Rot), लीफ स्पॉट (Leaf Spot) और विल्ट (Wilt) रोग लग सकते हैं। इनसे बचाव के लिए 2.5 ग्राम प्रति लीटर थीरम (Thiram) या कैप्टॉन (Captan) का मिश्रण बनाकर मिट्टी को भिगोना चाहिए। लीफ स्पॉट के मामले में संक्रमित पत्तियों को जलाकर नष्ट कर देना चाहिए और कॉपर ऑक्सीक्लोराइड (Copper Oxychloride) 0.2% का छिड़काव करना चाहिए। विल्ट रोग को नियंत्रित करने के लिए डायथेन एम-45 (Dithane M-45) 0.2% को मिट्टी में मिलाना चाहिए। इसके अलावा, पौधों को लगाने से पहले उनकी जड़ों को बेनोमाइल (Benomyl) सस्पेंशन में डुबोना चाहिए।

गुलदाउदी के कीटों से बचाव

गुलदाउदी की फसल को सनफ्लावर लेस विंग बग (Sunflower Lace Wing Bug) से बचाने के लिए मोनोक्रोटोफॉस 36 एस.एल (Monocrotophos 36 SL) 1.5 मिली या मिथाइल डिमेटान 25 ई.सी (Methyl Demeton 25 EC) 1 मिली प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करना चाहिए। मूलग्रंथि सूत्रकृमि (Root Knot Nematode) से बचाव के लिए कार्बोफ्यूरॉन 3 जी (Carbofuran 3G) 6 ग्राम प्रति वर्ग मीटर डालना चाहिए। एफिड्स (Aphids) के नियंत्रण के लिए मोनोक्रोटोफॉस 36 एस.एल 1.5 मिली या मिथाइल डिमेटान 25 ई.सी 1 मिली प्रति लीटर पानी के साथ पखवाड़े के अंतराल पर छिड़काव करना चाहिए।

फूलों की तुड़ाई और भंडारण

गुलदाउदी के फूलों की अच्छी तुड़ाई के लिए दिन का छोटा और रात का लंबा होना जरूरी होता है। जब फूल पूरी तरह से खिल जाते हैं, तो उन्हें नियमित रूप से तोड़ना चाहिए, जिससे नई कलियों के आने की प्रक्रिया बनी रहे और फूलों की अधिक उपज प्राप्त हो। कटे हुए फूलों की ताजगी बनाए रखने के लिए उनके तनों के निचले हिस्से को पानी में रखा जाता है। फूलों की सुरक्षा के लिए उन्हें पारदर्शी प्लास्टिक शीट से ढककर रखना चाहिए।

कितनी होती है उपज और कितना होता है मुनाफा?

गुलदाउदी की खेती में प्रति हेक्टेयर 100-150 क्विंटल फूलों की उपज प्राप्त होती है। बाजार में गुलदाउदी के फूलों की कीमत 150 से 400 रुपये प्रति किलोग्राम तक होती है। यदि किसान भाई एक हेक्टेयर में इसकी खेती करते हैं, तो वे बंपर मुनाफा कमा सकते हैं। इस फूल की मांग सालभर बनी रहती है, इसलिए किसान इस खेती को अपनाकर अपनी आय को दोगुना कर सकते हैं।

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