बिहार में 1 अप्रैल से गेहूं की खरीदारी शुरू होने वाली है। सरकार ने इस वर्ष गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2,425 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, जो पिछले साल की तुलना में 150 रुपये अधिक है। हालांकि, किसानों को यह मूल्य संतोषजनक नहीं लग रहा। उनका कहना है कि खेती की लागत लगातार बढ़ रही है, लेकिन समर्थन मूल्य उसी अनुपात में नहीं बढ़ रहा है।
खेती की लागत अधिक, मुनाफा बहुत कम
मुजफ्फरपुर जिले के किसान सरोज कुमार, मंजेश कुमार और गणेश का कहना है कि एक क्विंटल गेहूं के उत्पादन के लिए 1 से 1.5 कट्ठा जमीन की जरूरत होती है। इसके अलावा, बुआई से कटाई तक खेत का किराया, खाद, बीज, सिंचाई, मजदूरी और जुताई पर लगभग 1,300 से 1,500 रुपये तक का खर्च आता है।
अगर न्यूनतम खर्च 1,300 रुपये भी माना जाए, तो प्रति क्विंटल गेहूं बेचने पर किसान को सिर्फ 1,125 रुपये का मुनाफा मिलता है। यह चार महीने की मेहनत के बाद आता है और यदि इसे महीने के हिसाब से देखें, तो यह प्रति माह मात्र 281 रुपये बैठता है, जो मनरेगा मजदूर की एक दिन की मजदूरी से भी कम है।
मौसम की बेरुखी ने बढ़ाई किसानों की मुश्किलें
इस साल मार्च का महीना सामान्य से अधिक गर्म रहने वाला है। ऐसे में पछेती गेहूं की खेती करने वाले किसान अपनी फसल को बचाने में जुटे हैं। कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को खेतों में नमी बनाए रखने की सलाह दी है, ताकि फसल को नुकसान न हो।
खाद की किल्लत बनी सबसे बड़ी चुनौती
सरकार भले ही यह दावा कर रही हो कि किसानों को खाद आसानी से मिल रही है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। किसानों को यूरिया और अन्य उर्वरक खरीदने के लिए कई घंटे लाइन में लगना पड़ता है। कई बार पूरा दिन इंतजार करने के बावजूद खाद नहीं मिलती।
इस बार पछेती गेहूं की फसल को चार बार सिंचाई की जरूरत पड़ रही है, जबकि नवंबर में बोई गई फसल को सिर्फ दो बार सिंचाई की जरूरत थी। इससे किसानों की लागत और भी बढ़ रही है।
सरकार से गेहूं के दाम बढ़ाने की मांग
बढ़ती महंगाई और खेती की लागत को देखते हुए किसान सरकार से गेहूं के समर्थन मूल्य को 3,000 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक समर्थन मूल्य उनकी लागत को कवर नहीं करेगा और उन्हें उचित मुनाफा नहीं मिलेगा, तब तक वे खेती से पीछे हटते रहेंगे। सरकार को इस समस्या पर ध्यान देकर उचित समाधान निकालना चाहिए, ताकि किसान आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें।