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Kheti Wala: भारत की आधी आबादी खेती पर निर्भर, फिर भी GDP में योगदान कम क्यों?

खेती-किसानी भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है। यह देश की खाद्य सुरक्षा (Food Security) सुनिश्चित करने के साथ ही रोजगार का भी बड़ा स्रोत है।

By: Dipti Tiwari 
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Kheti Wala: भारत की आधी आबादी खेती पर निर्भर, फिर भी GDP में योगदान कम क्यों?

खेती-किसानी भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है। यह देश की खाद्य सुरक्षा (Food Security) सुनिश्चित करने के साथ ही रोजगार का भी बड़ा स्रोत है। भारत की लगभग 46.1% आबादी कृषि और इससे जुड़े कार्यों में संलग्न है, लेकिन सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में इसका योगदान घटकर 16% तक आ गया है। यह विरोधाभास सरकार, अर्थशास्त्रियों और किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय बना हुआ है।

कृषि में सरकार का निवेश और बजट

सरकार ने 2025 के केंद्रीय बजट (Union Budget 2025) में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (Ministry of Agriculture & Farmers Welfare) के लिए ₹1.37 लाख करोड़ का आवंटन किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 2.5% कम है।

कृषि क्षेत्र की सबसे बड़ी योजना प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-Kisan) है, जिसके तहत किसानों को आर्थिक सहायता दी जाती है। 2019 से इस योजना के लिए ₹60,000 करोड़ का ही प्रावधान किया जा रहा है, लेकिन महंगाई दर (Inflation Rate) को देखते हुए इसका वास्तविक मूल्य लगातार घटता जा रहा है।

सरकार का अनुमान है कि वित्तीय वर्ष 2025 में कृषि क्षेत्र में 3.8% की वृद्धि होगी। खासकर, बागवानी, पशुपालन और मछली पालन जैसे क्षेत्रों के कारण कृषि उत्पादन (Agricultural Output) में बढ़ोतरी हो रही है।

GDP में कृषि का योगदान क्यों कम हो रहा है?

कृषि में रोजगार बढ़ने के बावजूद आय कम क्यों?

पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (PLFS) 2024 के अनुसार, 2018-19 में कृषि क्षेत्र से जुड़ी आबादी 42.5% थी, जो 2024 में बढ़कर 46.1% हो गई। इसका अर्थ यह है कि कृषि में रोजगार बढ़ा है, लेकिन इसके बावजूद आय और उत्पादकता में अपेक्षित वृद्धि नहीं हुई है।

वहीं यह भी बात सामने आई है कि GDP में कृषि का 16-18% योगदान अपने आप में समस्या नहीं है। असली समस्या यह है कि उद्योग और सेवा क्षेत्रों में पर्याप्त रोजगार नहीं मिल रहा, जिससे लोग मजबूरी में दोबारा खेती की ओर लौट रहे हैं। जब अधिक लोग खेती पर निर्भर होंगे, तो किसानों की आय प्रति व्यक्ति कम होती जाएगी, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार मुश्किल हो जाएगा।

खेती-किसानी की मुख्य चुनौतियां

1. जल संकट (Water Crisis)

खेती के लिए जल की उपलब्धता एक गंभीर समस्या बनती जा रही है।

  • नदियों का जलस्तर घट रहा है।
  • भूजल (Groundwater) तेजी से नीचे जा रहा है।
  • कई क्षेत्रों में अनियमित वर्षा (Irregular Rainfall) और सूखा (Drought) समस्या बनी हुई है।

समाधान:

  • सूक्ष्म सिंचाई (Micro Irrigation) जैसे ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम को बढ़ावा देना।
  • जल संरक्षण के लिए रेनवाटर हार्वेस्टिंग को बढ़ाना।
  • कम जल खपत वाली फसल विविधता (Crop Diversification) को अपनाना।

2. कृषि मार्केटिंग की समस्या (Agricultural Marketing Issues)

  • बंपर उत्पादन के बावजूद किसानों को नुकसान होता है क्योंकि फसल की अधिकता से कीमतें गिर जाती हैं।
  • अधिक मुनाफा बिचौलियों (Middlemen) को जाता है, किसान को नहीं।
  • फसल भंडारण (Storage) और लॉजिस्टिक्स (Logistics) की कमी के कारण किसान अपनी उपज को सही दाम पर नहीं बेच पाते।

समाधान:

  • ई-नाम (e-NAM) जैसी डिजिटल मंडियों का विस्तार।
  • कोल्ड स्टोरेज (Cold Storage) और वेयरहाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश।
  • कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग (Contract Farming) को बढ़ावा देना।

3. जलवायु परिवर्तन और कृषि (Climate Change & Agriculture)

  • बढ़ता तापमान (Rising Temperature) और अत्यधिक वर्षा (Heavy Rainfall) से फसलों की पैदावार प्रभावित होती है।
  • फसल चक्र (Crop Cycle) प्रभावित होता है, जिससे उत्पादन कम हो जाता है।

समाधान:

  • जलवायु-स्मार्ट कृषि (Climate Smart Agriculture) को अपनाना।
  • जलवायु अनुकूल फसलों (Climate Resilient Crops) का उपयोग करना।
  • कृषि बीमा (Crop Insurance) योजनाओं को और प्रभावी बनाना।

किसानों की आय कैसे बढ़ेगी?

1. कृषि के साथ अन्य आय स्रोत (Diversification of Income Sources)

किसान सिर्फ खेती पर निर्भर न रहें, बल्कि अन्य स्रोतों को भी अपनाएं, जैसे:

  • डेयरी फार्मिंग (Dairy Farming)
  • मछली पालन (Fish Farming)
  • बागवानी (Horticulture)
  • एग्री-प्रोसेसिंग (Agri-Processing)

2. कृषि तकनीक का उपयोग (Use of AgriTech & Modern Technology)

  • सटीक खेती (Precision Farming) से उर्वरक और पानी का सही उपयोग
  • ड्रोन तकनीक (Drone Technology) द्वारा स्प्रे और निगरानी
  • स्मार्ट फार्मिंग (Smart Farming) और डिजिटल एग्रीकल्चर (Digital Agriculture) को अपनाना।

सरकार को क्या कदम उठाने चाहिए?

1. कृषि में निवेश (Investment in Agriculture)

  • सरकार को एग्रीकल्चर रिसर्च एंड डेवलपमेंट (Agriculture R&D) में अधिक निवेश करना चाहिए।
  • सस्टेनेबल फार्मिंग (Sustainable Farming) के लिए नई योजनाएं बनानी चाहिए।

2. कृषि कानूनों की वापसी (Reintroduction of Farm Laws)

  • कृषि विशेषज्ञ भुवन भास्कर के अनुसार, 2020 में लाए गए तीन कृषि कानून (Farm Laws) कृषि मार्केटिंग की समस्या हल कर सकते थे
  • किसानों को सीधा बाजार (Direct Market Access) उपलब्ध कराया जाए।

3. किसानों के लिए एक्सटेंशन सर्विसेज को मजबूत करना

  • कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) और एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटीज को किसानों से जोड़ना
  • डिजिटल प्लेटफॉर्म (Digital Platforms) के माध्यम से किसानों को कृषि संबंधी प्रशिक्षण देना

यह तो स्पष्ट है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि क्षेत्र की भूमिका अहम है, लेकिन इसमें बड़े सुधार की जरूरत है। सटीक नीतियां, तकनीक का सही उपयोग, जल प्रबंधन, फसल विविधीकरण और आधुनिक कृषि प्रणाली को अपनाकर किसानों की आय बढ़ाई जा सकती है। इसी के साथ सरकार को कृषि बजट को भी बढ़ाना होगा और किसानों को बिचौलियों से मुक्त कराना होगा और मार्केटिंग सिस्टम को मजबूत करना होगा। तभी संभव है कि खेती-किसानी को, लाभकारी बनाया जा सकता है।

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