केंद्र सरकार ने उड़द के शुल्क-मुक्त आयात को 31 मार्च, 2026 तक बढ़ाने का निर्णय लिया है। यह घोषणा विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) की ओर से जारी अधिसूचना में की गई। सरकार का यह कदम देश में दालों की उपलब्धता सुनिश्चित करने और संभावित महंगाई को नियंत्रित करने के उद्देश्य से उठाया गया है। इसके अतिरिक्त, सरकार ने पीली मटर के शुल्क-मुक्त आयात को 31 मई, 2025 तक जारी रखने की अनुमति दी है।
घरेलू बाजार पर असर और किसानों की चिंता
सरकार के इस निर्णय से घरेलू बाजार में उड़द और अन्य दालों की आपूर्ति बढ़ने की संभावना है, जिससे कीमतों में स्थिरता आ सकती है। हालांकि, सस्ते आयात का सीधा असर घरेलू किसानों पर पड़ेगा, क्योंकि उन्हें उनकी उपज का उचित मूल्य मिलने में कठिनाई हो सकती है। किसानों का मानना है कि जब सस्ते आयातित उत्पाद बाजार में उपलब्ध होंगे, तो उनकी उपज की कीमतों में गिरावट आएगी। उदाहरण के तौर पर, नए सीजन की चने की फसल अभी बाजार में आ रही है, लेकिन कई इलाकों में इसके दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे गिरने लगे हैं। ऐसे में, पीली मटर के शुल्क-मुक्त आयात की अनुमति से चने की कीमतों पर और अधिक दबाव बन सकता है।
‘आत्मनिर्भरता मिशन’ और विरोधाभासी नीतियां
पिछले महीने पेश किए गए आम बजट में सरकार ने दलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए छह वर्ष के ‘आत्मनिर्भरता मिशन’ की घोषणा की थी। इस मिशन का उद्देश्य भारत को दलहन उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है, ताकि विदेशों पर निर्भरता कम हो। लेकिन दूसरी ओर, दालों के शुल्क-मुक्त आयात को जारी रखने का फैसला किया गया है, जो इस मिशन के उद्देश्यों के विपरीत प्रतीत होता है।
भारत में दलहन उत्पादन पिछले कई वर्षों से 250-260 लाख टन के आसपास अटका हुआ है। इसका एक प्रमुख कारण सस्ते आयात से घरेलू किसानों को उचित मूल्य न मिलना है। यदि किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य नहीं मिलेगा, तो वे दलहन की खेती से दूर हो सकते हैं, जिससे देश में उत्पादन में वृद्धि करना मुश्किल हो जाएगा।
क्या हो सकते हैं समाधान?
1. आयात पर संतुलित नीति – सरकार को आयात पर पूरी तरह निर्भर रहने के बजाय एक संतुलित नीति बनानी चाहिए, जिससे किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को लाभ मिल सके।
2. एमएसपी पर प्रभावी खरीद – सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर प्रभावी खरीद सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि किसानों को उचित मूल्य मिले।
3. उन्नत बीज और तकनीकी सहायता – दलहन उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए उन्नत बीज, सिंचाई सुविधाएं और कृषि यंत्रीकरण को बढ़ावा देना आवश्यक है।
4. न्यूनतम आयात नीति – भारत को केवल आपातकालीन स्थितियों में ही दलहन का आयात करना चाहिए, ताकि घरेलू किसानों को नुकसान न हो।
5. भंडारण और वितरण प्रणाली में सुधार – सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उपभोक्ताओं को सस्ते आयात का लाभ मिले और बिचौलियों के कारण कीमतों में अनावश्यक बढ़ोतरी न हो।