पराली जलाना किसानों के लिए एक आम समस्या रही है, जिससे वायु प्रदूषण (Air Pollution) और मिट्टी की उर्वरता (Soil Fertility) पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। लेकिन अब, आधुनिक पराली प्रबंधन (Stubble Management) के लिए कई मशीनें उपलब्ध हैं, जो कम खर्च में पराली को जैविक खाद में बदल सकती हैं। इससे मृदा नमी (Soil Moisture) बनी रहती है, खरपतवार नियंत्रण (Weed Control) होता है और फसल उत्पादन बेहतर होता है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा प्रकाशित ‘खेती’ पत्रिका के अनुसार, ये 5 मशीनें पराली के निपटारे का बेहतरीन समाधान हो सकती हैं। आइए जानते हैं इन मशीनों के बारे में।
कैसे काम करती है:
यह मशीन पराली को खेत में ही काटकर मिट्टी में मिला देती है, जिससे उसे जलाने की जरूरत नहीं पड़ती। पराली मिट्टी के लिए ऑर्गेनिक मल्च (Organic Mulch) का काम करती है, जिससे मृदा नमी बनी रहती है और पानी की खपत कम होती है। मल्चिंग तकनीक (Mulching Technique) का उपयोग कर यह मशीन मिट्टी में जैविक तत्वों को बढ़ाने में मदद करती है।
फायदे:
✅ पराली जलाने की जरूरत खत्म होती है, जिससे वायु प्रदूषण कम होता है।
✅ फसल की गुणवत्ता में सुधार और पैदावार बढ़ाने में मदद मिलती है।
✅ जल की बचत (Water Conservation) होती है, क्योंकि मिट्टी की नमी लंबे समय तक बनी रहती है।
कैसे काम करता है:
यह मशीन पराली को छोटे टुकड़ों में काटकर खेत में फैला देती है। पराली की परत मिट्टी की सतह पर एक प्राकृतिक कवर (Natural Cover) बनाती है, जिससे नमी बनी रहती है। इससे मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ (Organic Matter) बढ़ता है और फसल को आवश्यक पोषक तत्व मिलते हैं।
फायदे:
✅ मिट्टी की नमी लंबे समय तक बनी रहती है।
✅ खरपतवार नियंत्रण (Weed Control) में मदद मिलती है।
✅ फसल को सूखे की स्थिति में पानी की पर्याप्त आपूर्ति मिलती है।
कैसे काम करता है:
यह मशीन खेत की जुताई (Tillage) करते समय पराली को मिट्टी में मिला देती है। खरपतवार नियंत्रण में भी मदद करती है। पराली मिट्टी में मिलकर जैविक खाद बन जाती है, जिससे मिट्टी की उर्वरकता बढ़ती है।
फायदे:
✅ पराली जलाने की जरूरत नहीं पड़ती।
✅ खरपतवार नियंत्रण में मदद मिलती है।
✅ खेत को अगली फसल के लिए जल्दी तैयार किया जा सकता है।
कैसे काम करता है:
यह मशीन पराली को मिट्टी में गहराई तक दबा देती है, जिससे पराली जलाने की जरूरत नहीं पड़ती। मिट्टी की बनावट (Soil Structure) में सुधार करती है और जड़ों को मजबूती से बढ़ने में मदद मिलती है। पराली मिट्टी के जैविक तत्वों को बढ़ाने में मदद करती है।
फायदे:
✅ मृदा नमी बनाए रखता है और फसल की वृद्धि में सुधार करता है।
✅ वायु प्रदूषण (Air Pollution) से बचाव होता है।
✅ मिट्टी की उर्वरता (Fertility) को बढ़ाने में मदद करता है।
कैसे काम करता है:
✅ यह मशीन पराली को छोटे टुकड़ों में काटकर खेत में समान रूप से फैला देती है।
✅ कटी हुई पराली धीरे-धीरे जैविक खाद में बदल जाती है, जिससे मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ती है।
✅ अगली फसल की बुवाई के लिए खेत को आसान और सुगम बनाती है।
फायदे:
✅ मिट्टी की उर्वरक क्षमता (Soil Fertility) बढ़ती है।
✅ खेत की सतह पर पराली फैलने से खरपतवार कम होते हैं।
✅ बुवाई के समय खेत में कोई रुकावट नहीं होती।
भारत सरकार पराली प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को अनुदान और सब्सिडी (Subsidy) प्रदान कर रही है। कुछ प्रमुख योजनाएं:
✅ कस्टम हायरिंग सेंटर (Custom Hiring Centres – CHCs): जहां से किसान इन मशीनों को किराए पर ले सकते हैं।
✅ पराली प्रबंधन योजना: किसानों को 50% तक की सब्सिडी दी जा रही है।
✅ बायो-सीएनजी प्लांट (Bio-CNG Plant): जहां पराली को ऊर्जा स्रोत (Energy Source) में बदला जा सकता है।
हमें यह स्वयं समझना चाहिए कि पराली जलाने से पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान होता है। लेकिन हैप्पी सीडर, मल्चर, रोटावेटर, मोल्डबोर्ड हल और सुपर एसएमएस जैसी मशीनों की मदद से पराली का सही प्रबंधन किया जा सकता है।
किसानों के लिए यह सस्ता और टिकाऊ समाधान है, जिससे वे मृदा की उर्वरता बनाए रखते हुए अच्छी पैदावार ले सकते हैं। साथ ही, यह जल संरक्षण, जैविक खाद और फसल उत्पादकता को बढ़ाने में मदद करता है। सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी और सहायता योजनाओं का लाभ उठाकर किसान कम खर्च में इन मशीनों का उपयोग कर सकते हैं और पर्यावरण संरक्षण (Environmental Protection) में योगदान दे सकते हैं।