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Kheti Wala: वैश्विक बाजार में चावल की कीमतों में गिरावट, भारत ने ब्रोकेन राइस एक्सपोर्ट बैन हटाए

वैश्विक बाजार में चावल की कीमतें लगातार गिर रही हैं और यह दो साल के निचले स्तर पर पहुंच गई हैं। इसकी मुख्य वजह कमजोर मांग, उच्च स्टॉक और उत्पादकों, व्यापारियों और निर्यातकों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा है।

By: Dipti Tiwari 
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Kheti Wala: वैश्विक बाजार में चावल की कीमतों में गिरावट, भारत ने ब्रोकेन राइस एक्सपोर्ट बैन हटाए

वैश्विक बाजार में चावल की कीमतें लगातार गिर रही हैं और यह दो साल के निचले स्तर पर पहुंच गई हैं। इसकी मुख्य वजह कमजोर मांग, उच्च स्टॉक और उत्पादकों, व्यापारियों और निर्यातकों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा है। इसी बीच भारत सरकार ने टूटे चावल (Broken Rice) के निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटा दिया है, जो सितंबर 2022 में लागू किया गया था।

सरकार ने यह फैसला ऐसे समय में लिया है जब भारत में चावल का पर्याप्त भंडार उपलब्ध है और उत्पादन में भी वृद्धि होने की संभावना है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने हाल ही में एक नोटिफिकेशन जारी कर ब्रोकेन राइस के एक्सपोर्ट बैन को हटाने की जानकारी दी। पहले, निर्यातकों ने सरकार से इस प्रतिबंध को हटाने की मांग की थी क्योंकि इन्वेंट्री में भारी बढ़ोतरी हो गई थी।

भारत के कृषि निर्यात को मिलेगी मजबूती

भारत सरकार ने पहले गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर 490 डॉलर प्रति टन का मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (MEP) हटाते हुए इस श्रेणी के चावल के निर्यात पर से बैन हटा लिया था। चावल निर्यात पर लगे प्रतिबंधों को हटाने से भारत को वित्त वर्ष 2025 में 50 बिलियन डॉलर से अधिक कृषि निर्यात करने में मदद मिल सकती है।

सरकार का अनुमान है कि 2024-25 के खरीफ सीजन में रिकॉर्ड 119.93 मिलियन टन चावल का उत्पादन हो सकता है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब सरकारी गोदामों में पर्याप्त मात्रा में चावल उपलब्ध है और खुदरा कीमतें भी नियंत्रण में हैं।

वैश्विक बाजार में कमजोर मांग और कड़ी प्रतिस्पर्धा

‘बिजनेसलाइन’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक बाजार में चावल की कीमतें दो साल के निचले स्तर पर आ गई हैं। इसका प्रमुख कारण कमजोर मांग, उच्च स्टॉक और उत्पादकों के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा है।

इस प्रतिस्पर्धा में पाकिस्तान और वियतनाम सबसे आगे हैं। हालांकि, थाईलैंड अभी भी ऊंची कीमतों पर चावल बेच रहा है। थाईलैंड के चावल की कीमतें अन्य देशों के मुकाबले कम से कम 30 डॉलर प्रति टन अधिक हैं और भारत के चावल से भी थोड़ी ज्यादा हैं। लेकिन कमजोर डिमांड और कड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण सफेद और उबले चावल की कीमतों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है।

भारत-पाकिस्तान में चावल निर्यात की प्रतिस्पर्धा

वियतनाम खाद्य संघ के अनुसार, हनोई 5% टूटे हुए सफेद चावल को 389 डॉलर प्रति टन के दाम पर बेच रहा है, जबकि पाकिस्तान 378 डॉलर, भारत 405 डॉलर और थाईलैंड 412 डॉलर प्रति टन की दर से चावल निर्यात कर रहा है।

उबले चावल (Parboiled Rice) के निर्यात में भारत और पाकिस्तान के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा चल रही है। भारतीय निर्यातक राजेश पहाड़िया जैन के अनुसार, भारत के पास मुख्य रूप से उबले चावल के लिए अधिक ऑर्डर आ रहे हैं, जबकि अन्य चावल की मांग अपेक्षाकृत कम है। वहीं भारत के मुख्य खरीदार इंडोनेशिया और फिलीपींस हैं, लेकिन उनके पास पहले से ही पर्याप्त मात्रा में चावल का स्टॉक मौजूद है।

वैश्विक चावल उत्पादन में वृद्धि का अनुमान

एग्रीकल्चर मार्केट इन्फॉर्मेशन सिस्टम (AMIS) के लेटेस्ट मार्केट मॉनिटर के अनुसार, 2024-25 में वैश्विक चावल उत्पादन 543 मिलियन टन तक पहुंच सकता है। उत्पादन में इस वृद्धि के कारण कई देशों में चावल के स्टॉक में इजाफा होगा, जिससे कीमतों में और गिरावट आ सकती है।

भारत द्वारा ब्रोकेन राइस के निर्यात पर से प्रतिबंध हटाना एक सकारात्मक कदम है, जिससे निर्यातकों को राहत मिलेगी और वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति मजबूत होगी। हालांकि, चावल की कीमतों में गिरावट और अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के कारण निर्यातकों को नई रणनीतियों के साथ आगे बढ़ना होगा। वहीं, चावल उत्पादन में वृद्धि और सरकारी नीतियों के प्रभाव से भारतीय बाजार और वैश्विक निर्यात दोनों में मजबूती आने की संभावना है।

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