भारत में कई देसी गायों की नस्लें पाई जाती हैं, लेकिन पुंगनूर गाय अपनी छोटी कद-काठी और औषधीय गुणों से भरपूर दूध के लिए जानी जाती है। यह नस्ल अब विलुप्ति के कगार पर है, इसलिए इसे संरक्षित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
भारत में कई देसी गायों की नस्लें पाई जाती हैं, लेकिन पुंगनूर गाय अपनी छोटी कद-काठी और औषधीय गुणों से भरपूर दूध के लिए जानी जाती है। यह नस्ल अब विलुप्ति के कगार पर है, इसलिए इसे संरक्षित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
मार्च का महीना खेती-किसानी के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस समय किसान गर्मियों में उगाई जाने वाली सब्जियों की खेती शुरू कर सकते हैं, जिससे उन्हें कम लागत में अच्छी पैदावार और बाजार में अच्छा लाभ मिल सकता है।
भारत में धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, और किसानों की प्राथमिकता अब उन्नत किस्मों की ओर बढ़ रही है। अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों से अधिक उपज और बेहतर लाभ प्राप्त किया जा सकता है। यही कारण है कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), पूसा द्वारा विकसित धान की किस्मों की मांग लगातार बढ़ रही है।
भारत में वनस्पति तेल के आयात में फरवरी 2025 के दौरान 7% की गिरावट दर्ज की गई है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SEAI) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, फरवरी 2025 में देश में कुल वनस्पति तेल आयात 8,99,565 टन रहा, जो फरवरी 2024 के 9,65,852 टन की तुलना में कम है।
भारत सरकार ने दलहन आयात को लेकर दो महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। वित्त मंत्रालय की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार, मसूर दाल पर 11 प्रतिशत आयात शुल्क लगाया गया है, जबकि पीली मटर के शुल्क-मुक्त आयात को 31 मई, 2025 तक बढ़ा दिया गया है।
केंद्र सरकार ने उड़द के शुल्क-मुक्त आयात को 31 मार्च, 2026 तक बढ़ाने का निर्णय लिया है। यह घोषणा विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) की ओर से जारी अधिसूचना में की गई।
बिहार में 1 अप्रैल से गेहूं की खरीदारी शुरू होने वाली है। सरकार ने इस वर्ष गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2,425 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, जो पिछले साल की तुलना में 150 रुपये अधिक है।
भारत में कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार लगातार नई योजनाएं ला रही है। इसी दिशा में बिहार सरकार ने मल्चिंग (Mulching) तकनीक को अपनाने वाले किसानों को 50% अनुदान देने की योजना शुरू की है।
जलवायु परिवर्तन का असर अब केवल पर्यावरण तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह कृषि क्षेत्र पर भी गहरा प्रभाव डाल रहा है। खासकर, गेहूं और चावल जैसी मुख्य फसलें इस बदलाव से बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं।
भारत में खेती की पारंपरिक तकनीकों में बदलाव आ रहा है, और इसका श्रेय अत्याधुनिक एआई ड्रोन तकनीक और नैनो उर्वरकों को जाता है। भारतीय किसानों के लिए यह एक नई क्रांति साबित हो रही है, जिससे न केवल खेती की लागत कम हो रही है बल्कि उपज भी अधिक मिल रही है।
भारत में कृषि अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (ICAR) ने पंजाब में हाइब्रिड राइस की कुछ नई किस्में, जैसे Sava 127, Sava 134, और Sava 7501, को खेती के लिए अधिसूचित किया है।
पोल्ट्री फार्मिंग (Poultry Farming) आज के समय में एक लाभदायक व्यवसाय बन चुका है। अगर इसे सही तरीके से और वैज्ञानिक विधियों (Scientific Methods) के अनुसार संचालित किया जाए, तो यह अधिक मुनाफा दिला सकता है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने गोवंश संरक्षण और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए एक नई पहल की शुरुआत की है। अब प्रदेश के सभी गोआश्रय केंद्रों में वर्मी कंपोस्ट यूनिट्स स्थापित की जाएंगी, जिससे न केवल गोशालाएं आत्मनिर्भर बनेंगी, बल्कि किसानों को सस्ती और प्राकृतिक खाद भी उपलब्ध होगी।
पराली जलाना किसानों के लिए एक आम समस्या रही है, जिससे वायु प्रदूषण (Air Pollution) और मिट्टी की उर्वरता (Soil Fertility) पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
झींगा पालन (Shrimp Farming) भारत में तेजी से बढ़ता व्यवसाय है, लेकिन कई बीमारियां इसकी उत्पादकता को प्रभावित कर सकती हैं। इनमें से एक गंभीर बीमारी वाईब्रियोसिस (Vibriosis) है, जो झींगा की विभिन्न प्रजातियों को संक्रमित कर सकती है।