भारत में कई देसी गायों की नस्लें पाई जाती हैं, लेकिन पुंगनूर गाय अपनी छोटी कद-काठी और औषधीय गुणों से भरपूर दूध के लिए जानी जाती है। यह नस्ल अब विलुप्ति के कगार पर है, इसलिए इसे संरक्षित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
भारत में कई देसी गायों की नस्लें पाई जाती हैं, लेकिन पुंगनूर गाय अपनी छोटी कद-काठी और औषधीय गुणों से भरपूर दूध के लिए जानी जाती है। यह नस्ल अब विलुप्ति के कगार पर है, इसलिए इसे संरक्षित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
मार्च का महीना खेती-किसानी के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस समय किसान गर्मियों में उगाई जाने वाली सब्जियों की खेती शुरू कर सकते हैं, जिससे उन्हें कम लागत में अच्छी पैदावार और बाजार में अच्छा लाभ मिल सकता है।
भारत में धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, और किसानों की प्राथमिकता अब उन्नत किस्मों की ओर बढ़ रही है। अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों से अधिक उपज और बेहतर लाभ प्राप्त किया जा सकता है। यही कारण है कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI), पूसा द्वारा विकसित धान की किस्मों की मांग लगातार बढ़ रही है।
भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने 2024-25 के लिए खरीफ और रबी फसलों के उत्पादन का दूसरा अग्रिम अनुमान जारी किया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, गेहूं, चावल, मक्का, सोयाबीन और अन्य प्रमुख फसलों के उत्पादन में ऐतिहासिक वृद्धि दर्ज की गई है।
बिहार में 1 अप्रैल से गेहूं की खरीदारी शुरू होने वाली है। सरकार ने इस वर्ष गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2,425 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, जो पिछले साल की तुलना में 150 रुपये अधिक है।
हर किसान की यही चाहत होती है कि उसकी फसल अच्छी उपज दे और उसकी मेहनत का पूरा फल मिले। लेकिन अगर कटाई से पहले कुछ जरूरी उपाय किए जाएं, तो फसल की गुणवत्ता और उत्पादन में और भी अधिक बढ़ोतरी हो सकती है।
भारत में खेती की पारंपरिक तकनीकों में बदलाव आ रहा है, और इसका श्रेय अत्याधुनिक एआई ड्रोन तकनीक और नैनो उर्वरकों को जाता है। भारतीय किसानों के लिए यह एक नई क्रांति साबित हो रही है, जिससे न केवल खेती की लागत कम हो रही है बल्कि उपज भी अधिक मिल रही है।